लोगों की राय

कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

268 पाठक हैं

मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


24. पिता मजदूर मजदूरी करता


पिता मजदूर मजदूरी करता
खाने के बाद कितना बचता
बेचारा पाई-पाई जोड़ता
तब भी शादी जितना ना हुआ

मैं कब शादी लायक हो गई
शादी की कोई बात ना हुई

मैं कितनी अज्ञानी हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

¤ ¤

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book