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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


29. जब माँ को पता चला तो


जब माँ को पता चला तो
कहने लगी पिता को वो
मैं अपनी बेटी ना दूँगी
अब चाहे हो जाये जो

कितना बूढ़ा वह आदमी
मेरी हैं कोमल ये बेटी

माँ की कितनी आभारी हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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