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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


36. एक शाम जब पिताजी आये


एक शाम जब पिताजी आये
घर में खुशियों की लहर लाये
बोले माँ के पास में आके
हम लड़का पक्का कर आये

घर बड़ा है, ठाठ बड़े हैं
खूब अमीर, पैसे वाले हैं

यह सुनकर मैं शर्माती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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