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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


37. आगे की जब बात सुनी तो


आगे की जब बात सुनी तो
मैं तो जैसे दंग रह गई
घर की कीमत लगाकर भी
धन में अभी भी कमी रह गई

मात-पिता दोनों खुश थे
बेटी राज करेगी हमारी

घर बेच क्यों, भिखारी करूँ?
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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