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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


38. सुनकर यह रहा ना गया


सुनकर यह रहा ना गया
पिता को बीच में टोक दिया
मेरी खातिर क्यों तुम पापा
बेचते हो अपना ये आशियाँ

मैं अपनी खुशियों की खातिर
छोड़ दँ आपको सड़क पर

मैं भी कैसी अभागिन हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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