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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


39. मेरे कहने पर पिता बोले


मेरे कहने पर पिता बोले
बेटी हमारी चिन्ता ना कर
क्योंकि तेरे जाने के बाद
होगा हमें संतोष दान कर

तू सुखी तो हम सुखी
तू दुखी तो हम दुखी

छूटे पिता घर, नही चाहती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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