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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


40. पिता की आँखें डबडबाई


पिता की आँखें डबडबाई
उसने अपनी नजरें झुकाई
मैं अश्रु पोंछने लगी
माँ भी धार बहाने लगी

तीनों की आँखें थी गीली
ओर नजरें नीची थी,

आँखें गीली, मैं पानी हूँ,
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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