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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


42. कुछ देर में ही हम तीनों


कुछ देर में ही हम तीनों
शांत-शलीके से बैठ गये
चुपचाप हम तीनों बैठे
बोलने का इंतजार करने लगे

तीनों आँखे आपस में
रूकी प्रश्नवाचक मुद्रा में

मैं मिट्टी, पैर से कुरेदती हूँ,
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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