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नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


50. सहेली के कहने पर मैंने


सहेली के कहने पर मैंने
उस लड़के को फोन किया
आज के दिन ही आज उसे
मैंने जैसे बुला लिया

गाँव से दूर शहर में
बस स्टैंड पर हम मिले

मैं निडर, आभारी हूँ,
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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