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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


56. अब कह दो अपने पिता से


अब कह दो अपने पिता से
शादी तेरी होगी मुझसे
सोच-समझ यह विचार किया है
बिना दहेज ले चलूँगा तुझे

माँ-बाप की चिन्ता ना कर
झगड़ा उनसे लिया है कर

सिसकियों को मैं रोक जाती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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