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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


58. उसके शब्द सुन-सुन


उसके शब्द सुन-सुन
ठंड कलेजे में होती हैं
यदि शाम को आ बैठा तो
मन की धड़कन बढ़ जाती है

कहीं आ बैठा यदि शाम को
क्या जवाब दूँगी मैं पिता को

यह सोच मैं घबराती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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