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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


59. जो होगा देखा जायेगा


जो होगा देखा जायेगा
अब शाम को आने दे
देखती हूँ वचन का पक्का
कितना है उसे आने दे

ले जायेगा यदि शादी कर
खुश रखूँगी उसे जीवन भर

मन में वचन मैं ये लेती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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