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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


60. शाम को जब माँ और पिता


शाम को जब माँ और पिता
कर काम को घर लौटे
मैं कुछ उदास थी तो
मुझे देखकर पिता बोले

हुआ क्या प्यारी लाडो को
उदास नजर आती है हमको

यह सुन सुबक पड़ती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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