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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


61. मैं जो बोल पाती कुछ तो


मैं जो बोल पाती कुछ तो
उससे पहले घर वो आये
मैंने आँसू अपने पोंछे
खड़ी हुई सिर को झुकाये

यह नहीं बोलेगी कुछ
आज तो बोलूँगा मैं सबकुछ

यह सुन चुप हो जाती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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