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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


62. मैंने इसको जब देखा


मैंने इसको जब देखा
अपना दिल इसे दे बैठा
पिता से जाकर जब पूछा
उसे धन का लोभी सोचा

मुझे दहेज अब ना चाहिए
घर की लक्ष्मी बस ये चाहिए

यह सुन खुश हो जाती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।


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