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नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


64. शादी का दिन वह आ गया


शादी का दिन वह आ गया
शादी कर वह मुझे ले गया
दहेज में उसने धेला ना लिया
पिता उसका बारात में ना था

घर जब उसके मैं पहुँची
स्वागत करने को कोई न थी

मैं अभागिन बेचारी हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।


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