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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


68. छोटा पुत्र जब मेरा


छोटा पुत्र जब मेरा
पाँचवी कक्षा में था पढ़ता
मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा
पति मौत का ग्रास बन गया

मेरी थी यह परीक्षा की घड़ी
जिन्दगीके मोड़ पे, अकेली मैं खड़ी

दानी मैं, आज भिखारी हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।


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