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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


69. फिर भी दिन रात मेहनत की


फिर भी दिन रात मेहनत की
बर्तन माँजे, नौकरी की
बच्चों को भी खूब पढ़ाया
नौकरी काबिल उन्हें बनाया

मुझको ताने दिये लोगों ने
मैंने अनसुना किया उन्हें

गूँगी-बहरी मति की मारी हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।


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