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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


70. बच्चे काबिल, शादी कर दी


बच्चे काबिल, शादी कर दी
घर में शादी ने खुशियाँ भर दी
चारों ओर के चारों कोने
चारों तरफ थी हर खुशी

आज मैं भी बस खुशी से
झूम रही थी अपनी मस्ती में,

मैं खुशियों की दीवानी हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।


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