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नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


72. बड़े की शादी को अभी


बड़े की शादी को अभी
कुछ ही साल बीते थे
छोटे भी शादी लायक
होने ही बस जा रहे थे

छोटे बचे बस दोनों की भी
करके अच्छे से उनकी शादी,

मुक्त हो जाना चाहती हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।


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