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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


73. फिर एक दिन दोनों की भी


फिर एक दिन दोनों की भी
कर ही दी मैंने शादी
मात-पिता ऋण से ऊऋण हो
अब चाहती थी मैं आजादी

उलझ गई मैं उनके बच्चों में
पालती-पोषती खिलाती उन्हें,

बच्चों से मैं राजी हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।


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