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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


75. इक दिन चारों ने विचार किया


इक दिन चारों ने विचार किया
अब इस बुढि़या का क्या होगा
सारा दिन खाती रहती है
इसका खर्चा ज्यादा होगा

मैंने चारों को पाल दिया
पर इनपर मेरा बोझ बढ़ा

चारों में अब बँटने वाली हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।


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