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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


76. बड़े का फैसला मान्य था


बड़े का फैसला मान्य था
दो-दो महीने मुझे रखना था
आठ महीने में ही केवल
उनके हिसाब से मरना था

आठों महीने बीत गये
अब रहने के दिन भी गये

अजीब सी हालत वाली हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।


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