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उपन्यास >> परम्परा

परम्परा

गुरुदत्त

प्रकाशक : सरल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :400
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9592

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भगवान श्रीराम के जीवन की कुछ घटनाओं को आधार बनाकर लिखा गया उपन्यास


गरिमा और महिमा अभी बातें ही कर रही थीं कि अमृत ऊपर से नीचे उतर आया और बोला, ‘‘कदाचित् पाकिस्तान से युद्ध आरम्भ हो गया है। हमें आधे घण्टे में ड्यूटी पर उपस्थित होने की आज्ञा आयी है।’’

गरिमा ऊपर को भागी।

दस मिनट में कुलवन्त नीचे उतर आया। वह अपनी युनिफार्म पहने हुए था। इस समय तक अमृत भी वस्त्र पहन तैयार हो गया। दोनों स्कूटर पर सवार छावनी में जा पहुँचे।

समाचार था कि छम्ब के समीप पाकिस्तानी सेनायें भारत की सीमा उल्लंघन कर भीतर घुस आयी हैं। हवाई जहाज के तीन स्कवाड्रनों को अमृतसर पहुँचने की आज्ञा थी।

इनके पहुँचने के पहले हवाई जहाज तैयार खड़े थे। तुरन्त हवाई जहाजों में बैठ हवाई जहाज एक-एक कर उड़ने लगे। पन्द्रह हवाई जहाज दिल्ली से अमृतसर की ओर चल पड़े।

दिल्ली में दोनों बहनें अब उत्सुकता से युद्ध के समाचार पढ़ने लगीं। इनके घर वालों का समाचार नहीं आ रहा था। दिन-पर-दिन व्यतीत हो रहे थे। युद्ध चलते हुए सात-आठ दिन हुए थे कि यह समाचार प्रकाशित हुआ कि भारतीय हवाई जहाजों ने लायलपुर के ‘राडार स्टेशन’ पर आक्रमण किया है और वहाँ का ‘राडार’ नष्ट कर दिया है। एक भारतीय हवाई जहाज वापस नहीं लौट सका।

हवाई जहाजों के अन्य आक्रमणों के भी समाचार आ रहे थे। हवाई जहाजों ने शत्रु के कई टैंक बरबाद कर दिये थे।

दिल्ली में नित्य ब्लैक आउट हो रहा था और एक प्रकार का उत्साह और साहस का वातावरण बना हुआ था।

इक्कीस-बाईस दिन के युद्ध के उपरान्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद के कहने पर युद्ध-विराम हो गया।

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