उपन्यास >> परम्परा परम्परागुरुदत्त
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भगवान श्रीराम के जीवन की कुछ घटनाओं को आधार बनाकर लिखा गया उपन्यास
‘‘उन्हें यह विश्वास हो गया है कि इस समय भूमण्डल में कोई भी व्यक्ति उनसे अधिक बलवान नहीं है। साथ ही यह बात भी वह जानते हैं कि लंका राज्य भूमण्डल के सब राज्यों से अधिक शक्तिशाली, शस्त्रास्त्र से सुसज्जित और धन-वैभव से युक्त है। इसके कोटि-कोटि सैनिक पूर्ण भूमण्डल पर काले बादलों की भाँति छाने में समर्थ हैं।
‘ऐसी अवस्था में वह यह समझते हैं कि किसी का अधिकार नहीं कि उसे कुछ ऐसी बात करने को कहे जो वह करना नहीं चाहता।’’
‘‘इस पर भी मेरी यह इच्छा है कि हम अपने विचार से एक इतने सामर्थ्यवान व्यक्ति को सन्मार्ग दिखायें। यदि हम अपने उद्देश्य में सफल हो गये तो निस्सन्देह मानव-समाज के कल्याण करने का श्रेय हमको मिलेगा।’’
विभीषण इच्छा न रखते हुए भी उक्त प्रेरणा की अवहेलना नहीं कर सका। वह तैयार हो गया और दूत को लेकर रावण के प्रासाद में जा पहुँचा। भीतर सूचना भेजने पर रावण ने इनको अपनी भरी सभा में ही बुला लिया। प्रहस्त, मारीच, दुन्दुभी इत्यादि सुभट्ट और मायावी, डिम्ब, डिमडिम इत्यादि माया-युद्ध में सिद्धहस्त सभा में उपस्थित थे।
विभीषण और कुबेर का दूत सभा में पहुँचे। विभीषण ने कहा, ‘‘महाराज! यह अपने बड़े भाई धनाध्यक्ष का भेजा हुआ दूत है। यह उनका एक सन्देह लेकर आया है। मैं इसे स्वयं वह सन्देश तुम्हें देने के लिये यहाँ ले आया हूँ।’’
रावण ने भाई को बैठने के लिये भी नहीं कहा। उसने तुरन्त दूत को सम्बोधन कर कहा, ‘‘हाँ, बाताओ! वह क्या कहता है?’’
‘‘महाराज!’’ दूत अपने स्वामी और रावण के बड़े भाई को इस अनादर-युक्त ढंग से सम्बोधन किया जाता देख समझ गया कि उसका वहाँ आना निरर्थक है। परन्तु अब वहाँ आ जाने के उपरान्त बिना, सन्देह सुनाये चला जाना उसे ठीक प्रतीत नहीं हुआ। अतः उसने कहा, ‘‘महाराज! मैं आपके बड़े भाई महाराज कुबेर धनाध्यक्ष का दूत हूँ। मुझे आज्ञा हुई है कि मैं आपसे यह निवेदन करूँ कि आपने जब से राज्य सम्भाला है तब से अनेकों व्यक्तियों के साथ अत्याचार किया है। आपने अगणित स्त्रियों से बलात्कार किया है और इस समय आपने लंका से लेकर विन्ध्याचल पर्यन्त सामान्य प्रजा को भी दुःखी कर रखा है। धनाध्यक्ष महाराज का यह कहना है कि आप अपना मार्ग ठीक करें। परमात्मा की प्रेरणा से यह राज्य आपके बड़े भाई ने आपको दिया है। इस कारण उनका अधिकार है कि आपको कहें कि आप अपने व्यवहार में सुधार करें।’’
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