लोगों की राय

धर्म एवं दर्शन >> सरल राजयोग

सरल राजयोग

स्वामी विवेकानन्द

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :73
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9599

Like this Hindi book 4 पाठकों को प्रिय

372 पाठक हैं

स्वामी विवेकानन्दजी के योग-साधन पर कुछ छोटे छोटे भाषण


मन को देह से अलग करना, उसे देह से पृथक् करके देखना सीखो। हम देह के ऊपर संवेदना और प्राण को आरोपित करते हैं और फिर सोचते हैं कि वह चेतन और सत्य है। हम इतने दीर्घकाल से इस देहरूपी आवरण को पहने हुए हैं कि भूल जाते हैं कि हम और देह एक नहीं है। योग हमें देह को इच्छानुसार त्यागने तथा उसे अपने दास, अपने साधन, न कि स्वामी, के रूप में देखने में सहायता करता है। योगाभ्यास का प्रथम प्रमुख लक्ष्य मानसिक शक्तियों का नियन्त्रण करना है। दूसरा, उन्हें पूर्ण एकाग्रता से किसी एक विषय पर केन्द्रित करना है।

यदि तुम बहुत बात करते हो, तो तुम योगी नहीं हो सकते।

* * *

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book