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			 कविता संग्रह >> उजला सवेरा उजला सवेरानवलपाल प्रभाकर
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आज की पीढ़ी को प्रेरणा देने वाली कविताएँ
 
      
    
सिगरेट का टुकड़ा
सिगरेट का छोटा -सा टुकड़ासडक़ किनारे दिखाई दिया
मोटरों के आने-जाने से
घिसटता-रिपटता हुआ वह
उनके साथ था बह रहा
मोटरों की रफ्तार ने
उसको ऐसा थपेड़ा दिया।
तभी.......
वह न जाने क्यों अचानक
मुझे दिखाई ना दिया
उसी समय कुछ दूरी पर
दिया दिखाई कुछ धुंआ ।
पास जो उसके मैं पहुंचा
वहां पड़ा था ईंधन बहुस सा
ईंधन में भक आग लगी
वह अचानक जल उठा ।
तभी मन में विचार ये आया
छोटा बड़ा कुछ नहीं है
यह वही छोटा टुकड़ा है
जिसने यह ईंधन जला दिया।
यदि होता कोई घर यहां
तो उसका क्या हसर होता
नुकसान बहुत होता यहां
इसलिए ही तो मैं कहता हूं
सिगरेट फेंको हमेशा बुझा।
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