लोगों की राय

कविता संग्रह >> उजला सवेरा

उजला सवेरा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :96
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9605

Like this Hindi book 7 पाठकों को प्रिय

26 पाठक हैं

आज की पीढ़ी को प्रेरणा देने वाली कविताएँ

 

पहली बारिश

आज पहली बारिश से
लगता है कुछ ऐसे
प्रभु ने आज फिर से
पुनर्जन्म किया हो जैसे।

सडक़े लगती धुली-धुली-सी
राहें लगती हैं नई-नई-सी
आकाश नीला साफ  कांच-सा
दिशाएं सारी खुली-खुली-सी
ठंडी पुरवाई चलने लगी हैं।
ठंडी बूंदें लाई इसे।
प्रभु ने आज फिर से
पुनर्जन्म किया हो जैसे।

तारों में फिर भर गया जोश
सूर्यदेव ने संभाला होंश
आंखों को रोशनी देने वाली
घास पर फैली ठंडी ओंस
साफ  स्वच्छ सुन्दर होकर
कोमल पत्ते निकाले पेड़ों ने।
प्रभु ने आज फिर से
पुनर्जन्म किया हो जैसे।

आसमान में फैला प्रदूषण
आज नहीं छोड़ा एक कण
गिरा कर मोटी-मोटी बूंद-सी
धोने में न लिया एक क्षण
सरोबार किया इस धरती को
देकर अनूठा तोहफा मेघों ने।
प्रभु ने आज फिर से
पुनर्जन्म किया हो जैसे।

0 0 0

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book