कविता संग्रह >> उजला सवेरा उजला सवेरानवलपाल प्रभाकर
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आज की पीढ़ी को प्रेरणा देने वाली कविताएँ
धरती वंदना
हे मां, तेरी है शान निरालीआभा अद्भुत चमकत न्यारी।
तेरे सारे पेड़ ये झूमें
हवा के शीतल झोंकों से
मन भी कंपित सा होकर
भरता पंछी बन उडारी।
हे मां, तेरी है शान निराली
आभा अद्भुत चमकत न्यारी।
स्पर्श अदृश्य कोमल सुगंधमय
हवा में सारंगी के तार की लय
झूम जाना चाहता हूं खुद
बातें भूलकर मैं सारी।
हे मां, तेरी है शान निराली
आभा अद्भुत चमकत न्यारी।
नैनों में एक दर्पण जैसे
हरियाली को खुद में समेटे
फू लों की सुगंध सांसों में भरके
झूम ये जाती है सारी।
हे मां, तेरी है शान निराली
आभा अद्भुत चमकत न्यारी।
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