उपन्यास >> देहाती समाज देहाती समाजशरत चन्द्र चट्टोपाध्याय
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ग्रामीण जीवन पर आधारित उपन्यास
विश्वेहश्वरी का दिल भर आया और रमा को छाती से कस कर चिपटा कर उन्होंने कहा-'चल बेटी, रमेश और वेणी की आँखों से दूर, किसी तीर्थ में चल कर अपने जीवन के अंतिम दिन बिताएँ, जहाँ आँख उठते ही भगवान के दर्शन हों! अब मेरी समझ में आ गया है, बेटी! जब मेरा अंत समय ही आ गया है, तो फिर इस जलन से छुट्टी लेनी होगी; नहीं तो भगवान के दरवाजे पर इस जलन को लेकर न जाया जा सकेगा! ब्राह्मणों की तरह ही हमको भगवान के दरबार में जाना होगा!'
दोनों ही काफी देर तक चुप रहीं, फिर एक आह भरते हुए रमा ने कहा -'मेरी भी यही इच्छा है, ताई जी!'
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