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उपन्यास >> देहाती समाज

देहाती समाज

शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :245
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9689

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ग्रामीण जीवन पर आधारित उपन्यास


अब तो रमेश के विस्मय की सीमा न रही। थोड़ी देर तक मौन रह कर उसने पूछा-'इसका कारण?'

दासी ने शरमा कर गर्दन घुमाते हुए कहा-'हम तो गरीब आदमी ठहरे, छोटे बाबू! कुछ जानते नहीं। उनकी इधर-उधर ऐसी-वैसी बदनामी जो उड़ी है, उसी कारण। मैं जानती नहीं सब बातें!'

कह कर दासी चली गई और रमेश हक्का-बक्का-सा खड़ा रहा और थोड़ी देर बाद घर लौट आया। बिना पूछे ही, उसकी समझ में इतना तो आ गया कि वेणी के गुस्से का यही परिणाम है, जो रमा भुगत रही है। लेकिन क्यों इतना भयंकर क्रोध हुआ उसे, इसका कारण ही वह न जान सका।

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