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उपन्यास >> देवदास

देवदास

शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :218
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9690

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कालजयी प्रेम कथा


'कुछ भी नहीं हुआ है।'

'नहीं कहोगे?' चुन्नीलाल ने बहुत देर बाद नीचा सिर किये हुए कहा-'देवदास मेरी एक बात रखोगे?' क्या?

'वहां पर तुमको एक बार और चलना होगा? मैंने वचन दिया है।'

'जहां उस दिन गया था?'

'हां।'

'छि:! वहां मुझे अच्छा नहीं लगता।'

'जिससे अच्छा लगेगा, मैं वही करूंगा।'

देवदास अन्यमनस्क की भांति कुछ देर चुप रहे; फिर कहा-'अच्छा चलो, मैं चलूंगा।'

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