उपन्यास >> देवदास देवदासशरत चन्द्र चट्टोपाध्याय
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कालजयी प्रेम कथा
17
अवनति की एक सीढी नीचे उतरकर चुन्नीलाल न जाने कहां चले गये। अकेले देवदास ही चंद्रमुखी के घर के नीचे के खंड में बैठकर शराब पी रहे हैं। पास ही चंद्रमुखी विषण्ण-मुख से बैठी हुई देख रही है। उसने कहा-'देवदास, अब मत पियो।'
देवदास ने शराब का ग्लास नीचे रखकर भौं चढ़ाकर कहा-'क्यों?'
'अभी थोड़े ही दिन से शराब नहीं पीता हूं। यहां रहने के लिए शराब पीता हूं।'
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