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उपन्यास >> देवदास

देवदास

शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :218
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9690

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कालजयी प्रेम कथा

17


अवनति की एक सीढी नीचे उतरकर चुन्नीलाल न जाने कहां चले गये। अकेले देवदास ही चंद्रमुखी के घर के नीचे के खंड में बैठकर शराब पी रहे हैं। पास ही चंद्रमुखी विषण्ण-मुख से बैठी हुई देख रही है। उसने कहा-'देवदास, अब मत पियो।'

देवदास ने शराब का ग्लास नीचे रखकर भौं चढ़ाकर कहा-'क्यों?'

'अभी थोड़े ही दिन से शराब नहीं पीता हूं। यहां रहने के लिए शराब पीता हूं।'

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