लोगों की राय

सामाजिक >> परिणीता

परिणीता

शरत चन्द्र चट्टोपाध्याय

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :148
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9708

Like this Hindi book 6 पाठकों को प्रिय

366 पाठक हैं

‘परिणीता’ एक अनूठी प्रणय कहानी है, जिसमें दहेज प्रथा की भयावहता का चित्रण किया गया है।


शेखर ने हँसकर सिर हिलाते हुए कहा- नहीं जी, यह बात नहीं है। मैं बहुत दिनों से सोच रहा था, लेकिन कुछ निश्चय न कर पाता था। आज निश्चय कर लिया। आज ही मुझे ठीक तौर से इस बात का अनुभव हुआ कि तुम्हें छोड़कर मैं न रह सकूँगा।

ललिता बोली- मगर तुम्हारे पिता सुनकर आपे से बाहर हो जायँगे। मां भी सुनकर दुखी होगी। यह न होगा शे...

शेखर बीच ही में बोल उठा- यह सच है कि बाबूजी सुनकर आगबबूला हो जायँगे, मगर माताजी जरूर खुश होंगी।

खैर, अब चाहे जो हो। जो होना था, हो चुका। अब हम या तुम, कोई इसे मेट नहीं सकता। जाओ, नीचे जाकर माताजी को प्रणाम करो।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book