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कविता संग्रह >> संभाल कर रखना

संभाल कर रखना

राजेन्द्र तिवारी

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :123
मुखपृष्ठ : ईपुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9720

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मन को छूने वाली ग़ज़लों का संग्रह



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आदमी को आदमी से डर भला क्योंकर लगा


आदमी को आदमी से डर भला क्योंकर लगा।
तब ये जाना जब हमारी पीठ पर ख़ंजर लगा।।

आस्तीनी साँप से मुमकिन था बच जाते मगर,
हर गली इक आस्तीं, हर आदमी विषधर लगा।

जिस्म बेचा, रूह बेची, ख़्वाब तक बेचे कभी,
भूख के बाज़ार में हर शख़्स पेशेवर लगा।

वाह रे इंसाफ़ उनका वाह रे उनका निज़ाम,
जुर्म किसका था मगर इल्ज़ाम किसके सर लगा।

मैं सफ़र में शाम को ठहरा जहाँ पर भी वहीं,
लोग अपने से लगे वो गाँव अपना घर लगा।

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Abhilash Trivedi

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