लोगों की राय

कहानी संग्रह >> कुमुदिनी

कुमुदिनी

नवल पाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :112
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 9832

Like this Hindi book 0

ये बाल-कथाएँ जीव-जन्तुओं और बालकों के भविष्य को नजर में रखते हुए लिखी गई है


उसमें लिखा था -

1. मां ममता की
2. पिता दाम का लोभी,
3. होत की बहन,
4. अनहोत का भाई,
5. गांठ का पैसा,
6. पास की लुगाई,
7. उज्जैन शहर में विषयाबाई,
8. सोवेगा वो खोवेगा,
9. जागेगा वो पावेगा।

यह पढ़कर उसने हुण्डी को अपने पास ही रख लिया। शाम को जब पिता सेठ लखपति दास दुकान में आया तो अपने गल्ले के सारे पैसे संभालने लगा। बार-बार संभालने पर भी उसने गल्ले में सौ रुपये कम पाए। घर आकर उसने हजारी प्रसाद से पूछा तो हजारी प्रसाद ने कहा- वो सौ रुपये तो मैंने ही लिये थे। उनकी मैंने हुण्डी खरीद ली है।

यह सुनकर सेठ लाल-पीला हो गया। उसने हजारी प्रसाद को घर से निकल जाने को कहा। हजारी प्रसाद की मां मिश्री देवी ने सेठ लखपति दास को से कहा- क्या हुआ, जब बच्चे ने ये हुण्डी खरीद ली। वैसे भी हमारे पास धन की क्या कमी है।

तुमने ही तो इसको सिर चढ़ा रखा है। आज की इस दुनिया में चाहे जितने भी पैसे हों, सब कम हैं। मैं तो अब इसको इस घर में रखूंगा ही नहीं।

यह सुनकर फिर मिश्री देवी कहने लगी- इसके सौ रुपये मैं आपको दे दूंगी पर इसको घर से ना निकालिए। हमारे पास यही तो इकलौता लड़का है। यह भी घर से निकल गया तो हमारे पास क्या रह जायेगा। इसकी गलती को माफ कर दीजिए। आगे से ऐसा नहीं करेगा।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book