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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


44. अन्त में आधी रात तक


अन्त में आधी रात तक
कोई निर्णय न हो पाया
मैंने वहाँ से निकल कर
कमरे में पहुँच दीप जलाया

बैठ खाट पर सोचने लगी
सजा मिली है कौन जन्म की

मैं इनकी लाचारी हूँ
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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