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कविता संग्रह >> नारी की व्यथा

नारी की व्यथा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :124
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9590

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मधुशाला की तर्ज पर नारी जीवन को बखानती रूबाईयाँ


45. मिलूँ किससे मैं ये सोचूँ


मिलूँ किससे मैं ये सोचूँ
लड़के से मिलकर तो देखूँ
मेरी समस्या का हल निकाले
बात तो उससे करके देखूँ

नही-नहीं कहीं ऐसा हो
खुद ही वो दहेज माँगता हो

ठीक होगा बात करती हूँ,
क्योंकि मैं इक नारी हूँ।

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