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कविता संग्रह >> उजला सवेरा

उजला सवेरा

नवलपाल प्रभाकर

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2016
पृष्ठ :96
मुखपृष्ठ : Ebook
पुस्तक क्रमांक : 9605

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आज की पीढ़ी को प्रेरणा देने वाली कविताएँ


चांदनी

चांद की चांदनी आज
उतरी है मेरे आंगन में
मन मेरा झूम उठा है ,
पांव मेरे थिरकने लगे।

कंपित रोएं-रोएं में
सितार जैसे बजने लगा
सातों सुर समेट लाई
पूर्व से आने वाली हवा
मन मेरा झूम उठा है ,
पांव मेरे थिरकने लगे।

चुनरी आसमान सिर ओढ़े
सुन्दर प्यारे सितारे जडक़र
लेकर ठंडी सुघड़ शीतलता
और सुगंध अंदर अपने भर
चंचल अस्थिर बहकी सी
सुवाषित लगी सांसों को करने।

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